सारांश
किसी भी देश के विकास के लिए महिला शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है और विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं की शिक्षा सामाजिक उत्थान का प्रमुख आधार है। शिक्षा प्राप्त करके महिलाएँ अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होती हैं और परिवार तथा समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
ग्रामीण महिलाओं की शिक्षा न केवल उन्हें सशक्त बनाती है बल्कि उनमें आत्मविश्वास भी उत्पन्न करती है। शिक्षा के माध्यम से वे अपने जीवन से जुड़ी समस्याओं को समझ पाती हैं और उनका समाधान खोज सकती हैं।
मुख्य शब्द : महिला शिक्षा, ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण
भूमिका
किसी भी देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास में शिक्षा का विशेष महत्व है। शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करती है तथा समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने में सहायक होती है।
महिला शिक्षा ग्रामीण विकास की नींव है क्योंकि शिक्षित महिला पूरे परिवार और समाज को शिक्षित करती है। भारत जैसे विकासशील देश में आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में महिला शिक्षा की स्थिति संतोषजनक नहीं है।
ग्रामीण क्षेत्रों में परंपराएँ, रूढ़ियाँ और आर्थिक पिछड़ापन महिला शिक्षा में प्रमुख बाधाएँ हैं। इसके बावजूद वर्तमान समय में महिलाओं की साक्षरता दर में वृद्धि हुई है, जो एक सकारात्मक संकेत है।
महिला शिक्षा की समस्याएँ
ग्रामीण महिलाओं की शिक्षा में अनेक सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक बाधाएँ हैं, जैसे—
- पुरुष प्रधान समाज में लड़कियों की शिक्षा को कम महत्व दिया जाना
- बाल विवाह की समस्या
- गरीबी के कारण लड़कियों को घरेलू कार्यों में लगा देना
- विद्यालयों की कमी एवं दूर स्थित विद्यालय
- महिला शिक्षिकाओं की कमी
- यातायात के साधनों का अभाव
- सुरक्षा संबंधी चिंताएँ
इन सभी कारणों से ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों की शिक्षा प्रभावित होती है।
सरकारी प्रयास
भारत सरकार तथा राज्य सरकारों द्वारा महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चलाई गई हैं, जैसे—
- सर्व शिक्षा अभियान
- मध्याह्न भोजन योजना
- बालिका शिक्षा कार्यक्रम
- कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय
- राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान
- छात्रवृत्ति योजनाएँ
इन योजनाओं का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बालिकाओं को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करना है।
सुझाव
- ग्रामीण बालिकाओं को पूर्णतः निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराई जाए
- विद्यालयों में शौचालय एवं अन्य आवश्यक सुविधाएँ सुनिश्चित की जाएँ
- महिला विद्यालयों की स्थापना की जाए
- यातायात एवं सड़क सुविधाओं में सुधार किया जाए
- महिला शिक्षा के प्रति जागरूकता अभियान चलाए जाएँ
निष्कर्ष
ग्रामीण विकास के लिए महिला शिक्षा अनिवार्य है। शिक्षित महिलाएँ ही परिवार, समाज और राष्ट्र के समग्र विकास में योगदान दे सकती हैं। महिला शिक्षा को बढ़ावा देकर ही सामाजिक कुरीतियों, अशिक्षा और असमानता को दूर किया जा सकता है।
अतः ग्रामीण महिलाओं की शिक्षा को प्राथमिकता देना समय की आवश्यकता है।
डॉ. शशि पाण्डेय
असिस्टेंट प्रोफेसर, महादेव पीजी कॉलेज, दरियापुर, वाराणसी